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सुशील Kumar winner of 5 Crore Motihari

माटी की तासीर महकी पूरे देश में रविभूषण सिन्हा, मोतिहारी (पूच) : कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम की हॉट सीट पर बैठ कर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से सवाल-जवाब के जरिये मुखातिब, सुशील कुमार को मिली उड़ते रंगों की सफलता (सक्सेस विथ फ्लाइंग कलर) ने मोतिहारी को भी सुर्खियों में ला दिया है। सुशील के साथ ही मोतिहारी के माटी की तासीर भी पूरे देश में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा गयी। वे अपने बड़े भाई, एलआइसी के अभिकत्र्ता अनिल कुमार और पत्नी सीमा पटेल के साथ 23 अक्टूबर को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मुम्बई गए। वे सोमवार को रोल ओवर होने के कारण मंगलवार को भी अमिताभ के सवालों का जवाब देने का क्रम जारी रखे हुए थे। 






सुशील की पढ़ाई जिला मुख्यालय में ही हुई है। उन्होंने प्रारंभिक पढ़ाई शहर के गौरीशंकर मध्य विद्यालय से की। उन्होंने मंगल सेमिनरी इंटर कॉलेज से मैट्रिक की परीक्षा पास की। इंटर उन्होंने श्रीनारायण सिंह कॉलेज से उत्तीर्ण किया। स्नातक तथा स्नातकोत्तर की पढ़ाई शहर के ही मुंशी सिंह कॉलेज से पूरी की। उन्होंने फोन एंड फ्रेंड्स में शहर के मिस्कौट स्थित अपने एक दोस्त तथा दिल्ली में रहनेवाले भांजे रवि को शामिल किया। सुशील ने केबीसी में 1.60 लाख पर अपना पड़ाव बनाया। सोमवार तक सुशील ने अपने परिजनों को बताया था कि उन्होंने साढ़े बारह लाख तक की रकम जीत ली है। जीत का सफर मंगलवार को भी जारी रहेगा। अमरनाथ के पांच पुत्र हैं- सुनील, अनिल, सुशील, सुधीर व सुजीत कुमार। सबसे बड़े भाई सुनील को एक पुत्र व तीन पुत्रियां हैं। वहीं दूसरे बड़े भाई अनिल को मात्र एक पुत्री अर्पणा कुमारी है। सुशील की इसी वर्ष 31 मई को शहर के भवानीपुर जिरात मोहल्ला निवासी कृष्णा कुमार पटेल व शारदा देवी की पुत्री सीमा पटेल के साथ शादी हुई है। कृष्णा व उनके बेटे विजय कुमार मीना बाजार में नाश्ते की दुकान चलाते हैं। सुशील के छोटे भाई सुधीर व सुजीत अभी पढ़ रहे हैं। अमरनाथ का परिवार करीब सौ वर्ष पूर्व मोकामा से आकर शहर के हनुमानगढ़ी में बस गया। अमरनाथ पहले नेपाल स्थित वीरगंज में एक ठेकेदार के यहां मंुशी का काम करते थे। बड़ा भाई सुनील गैस चूल्हे की रिपेयरिंग की दुकान चलाता है। सुशील की इस सफलता पर ससुर कृष्णा प्रसाद व सास शारदा देवी कहती हैं-उन्होंने अपनी पुत्री की शादी धन-दौलत देखकर नहीं बल्कि लड़के की प्रतिभा को देखकर की थी, जो आज सार्थक साबित हो रहा है। शिक्षक का सिर भी गर्व से तना सुशील को बचपन में पढ़ाने वाले शिक्षक और गौरीशंकर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक देवेन्द्र कुमार सिंह कहते हैं कि जब शिष्य कोई उपलब्धि हासिल करता है तो उसके शिक्षक का सिर गर्व से ऊंचा उठ जाता है। उन्होंने कहा- सुशील ने खुद को सिद्ध कर दिया। वह मेधावी है।
 

जिनकी आंखों में सपने होते हैं, वहीं सफलता की सीढि़यां भी चढ़ते हैं। मोतिहारी के एक सामान्य परिवार में जन्मे सुशील की आंखों में भी सपने तैर रही थी कि शायद वे भी कभी सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने की हॉटसीट पर बैठेंगे। कौन बनेगा करोड़पति में महानायक को अपने जवाब से प्रभावित कर करोड़पति बनेंगे। सोमवार व मंगलवार को उनका यह सपना हकीकत में बदल गया। उनके सीधे-सादे परिवार के लोगों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब कैसे हो गया। तभी तो मां रेणु देवी कहती है-ई, सब भगवान के कृपा बा। सबसे खास बात यह है कि चम्पारण की प्रतिभाएं पहले भी कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर बैठ चुकी हैं। शहर के मिस्कौट मोहल्ला के एएसएम पद पर कार्यरत राजीव कुमार सिंह और संजीव साह भी केबीसी के कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं। सुशील के पिता अमरनाथ को भी लग रहा है कि वर्षो से जंग खा रहे अब उनके अरमानों को पंख लगने वाले हैं। वे अब किराए के मकान की बजाय अपनी पुश्तैनी मकान का जीर्णोद्धार कराकर पांच बेटे, तीन पतोहू व पोते-पोतियों से भरे पूरे परिवार के साथ एक ही छत के नीचे जीवन के शेष बचे दिन सुख व शांति के साथ गुजार सकेंगे। छोटे भाई सुधीर व सुजीत के साथ मोहल्ले के भतीजा सत्यम कुमार तो सुशील के लौटने के साथ ही उस क्षण की भी प्रतीक्षा कर रहे हैं। जब वे टेलीविजन पर सुशील को अमिताभ बच्चन के प्रश्नों के जवाब का अंदाज-ए-बयां भी देख सुन सकेंगे। अपनी प्रतिभा के बल पर करोड़ों रुपये जीतनेवाले सुशील की इस उपलब्धि पर सुशील के पूरे मुहल्ले में गजब का उत्साह व प्रसन्नता है वहीं उसके ससुराल में भी उत्सवी माहौल है। घर-परिवार को मिल रही बधाईयां तथा प्रेस व मीडिया का लग रहा जमावड़ा उन्हें अभूतपूर्व खुशी दे रही है। जब कोई मोहल्ले में अंजान व्यक्ति पहुंचता है तो मोहल्लेवासी सीधे पूछ बैठते हैं कि आपको सुशील के घर चलना है। कानोंकान मोहल्ले के लोगों तक यह बात पहुंच चुकी है कि मोहल्ले का यह सीधा सादा लड़का आज केबीसी की हाट सीट पर बैठकर पूरे चम्पारण का नाम रोशन कर रहा है। इस मुहल्ले में रहनेवाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संपूर्णानंद शप्पूजी आज बड़े गर्व से कह रहते हैं कि सुशील का पूरा परिवार स्वयंसेवक है। वहीं सुशील की प्रारंभिक कक्षाओं में गुरू रहे गौरीशंकर मध्यविद्यालय के प्रधानाध्यापक देवेन्द्र कुमार सिंह, अब्दुल जौवाद, अब्दुल हमीद, पड़ोसी और इस विद्यालय में शिक्षिका नीलम कुमारी भी सुशील की इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं। कहते हैं इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है कि उनके स्कूल का छात्र आज पूरे देश में अपनी प्रतिभा की रोशनी बिखेर रहा है। ससुराल की दीपावली होगी और ज्यादा रंगीन मोतिहारी, (पूर्वी चम्पारण) 


 


दीपावली की पूर्व संध्या पर हॉट सीट पर बैठे सुशील के भवानीपुर जिरात स्थित ससुराल में भी जश्न का माहौल है। खुशी से झूम रहे ससुर कृष्ण कुमार पटेल कहते हैं दीपावली में उनके घर में भी मानों खुशियों की बरसात हो गई है। उन्होंने सपने में भी यह नहीं सोंचा था कि बेटी सीमा भी अपने पति सुशील (दामाद) के साथ एक दिन केबीसी की मेहमान बनकर मुम्बई जाएगी और अचानक पूरे मीडिया में छा जाएगी। दामाद व बेटी की इस सफलता पर दीपावली की खुशियां चौगुनी हो गई है। वहीं सुशील की सास शारदा देवी कहती हैं- इस बार की दिवाली सचमुच रंगीन और खुशियों से भरी होगी। वे अपने दामाद की इस सफलता पर भगवान को भी प्रसाद चढ़ाने की बात कहती हैं। मीनाबाजार में नाश्ते की दुकान चलानेवाले साला विजय कुमार कहते हैं- इस खुशी को बयां करना मुश्किल है। सचमुच, हम दोनों परिवार के लिए यह ईश्वर की ओर से अमूल्य उपहार है। होगा भव्य अभिनंदन मोतिहारी,(पूच) जाप्र : युवा जनता दल यू के जिलाध्यक्ष मो. तमन्ना कहते हैं कि सुशील ने यह साबित कर दिखाया कि चम्पारण में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत है केवल उसे निखारने की। यहां की धरती के लाल हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। ऐसे धरतीपुत्रों पर हमसभी को नाज है। मोतिहारी लौटने पर सुशील का यहां भव्य अभिनंदन किया जाएगा। इसके लिए एक समारोह आयोजित किया जाएगा।
इस साल की दीपावली सुशील के लिए सचमुच झोली भरकर खुशियों की सौगात लेकर आई। केबीसी से बुलावा आने के बाद अपनी पत्नी सीमा व भाई अनिल के साथ मुंबई तक का सफर तय करने के दौरान उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि किस्मत इस कदर उसका साथ देगी और वह देखते ही देखते खाकपति से पंचकोटि महामनी तक का सफर तय कर लेगा। हालांकि सुशील को हॉट सीट तक पहुंचने व अच्छी-खासी रकम जीतने का भरोसा तो था मगर देखते ही देखते वह सभी सवालों का जवाब दे पांच करोड़ की अंतिम राशि जीत लेगा, ऐसा तो उसने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था। मगर एक पुरानी कहावत है कि जो वक्त की नब्ज पर हाथ रखते हैं वक्त उनका साथ अवश्य देता है। अगर किसी में प्रतिभा हो और किस्मत का साथ मिल जाए तो ऐसे ही चमत्कार होते हैं। एन धनतेरस के दिन केबीसी की हॉटसीट पर पहुंचे सुशील पूरी तरह कांफिडेंट नहीं थे इसलिए अपने लिए मिनीमम गारंटी के रूप में 1.60 लाख का चयन किया था। यह खेल का वह पड़ाव होता है, जहां तक आप सभी सही जवाब देकर पहुंचते हैं तो इतनी रकम आप अपने साथ अवश्य ले जा सकते हैं। सुशील ने यहीं सोचकर इस पड़ाव का चुनाव किया कि कम से कम वह इतनी राशि का हकदार हो जाएगा। मगर ज्यों-ज्यों खेल आगे बढ़ता गया वह एक-एक कर सभी सवालों का सही जवाब देते हुए अंतत: खेल के अंतिम पड़ाव तक का सफर तय कर लिया। एक करोड़ की रकम जीतने तक सुशील ने केवल दो लाइफ लाइन का इस्तेमाल किया था। अंतिम सवाल के जवाब में उसने बाकी दोनों लाइफलाइन का इस्तेमाल कर पांच करोड़ की रकम का हकदार बन गया। खास बात यह है कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठने के बाद भी वह नर्वस नहीं हुआ और आराम से सभी सवालों का जवाब देता रहा।



देखा है सपना, घर हो अपना मोतिहारी,(पूच)वसं: जी हां, केबीसी की हॉट सीट से करोड़पति बने सुशील के पिता अमरनाथ व मां रेणु देवी का बस यही एक सपना है कि उनके पांच बेटों का अपना घर हो। शहर के हनुमानगढ़ी में महज 12 धूर जमीन पर बना जर्जर पुश्तैनी मकान अब इस काबिल नहीं रहा कि वे अपने पूरे परिवार के साथ रह सकें। बगल में ही तीन हजार प्रति माह की दर पर एक मकान लेकर सुशील का परिवार जैसे-तैसे गुजर-बसर कर रहा है। सुशील को मिली इस अप्रत्याशित सफलता के बाद जब उनके माता-पिता से पूछा गया कि प्राप्त रुपयों से वो क्या करना चाहेंगे तो उन्होंने तपाक से कहा कि पांचों बेटों का घर। अपनी जवानी नेपाल में ठेकेदार के साथ मुंशी के रूप में गुजार कर बच्चों की परवरिश करने वाले अमरनाथ की ख्वाहिश है कि सबसे छोटे पुत्र का छोटा-मोटा व्यवसाय भी हो जाय। छोटी तमन्ना, ऊंची छलांग मोतिहारी, (पूच) वसं : पत्नी सीमा व बड़े भाई अनिल के साथ केबीसी में भाग लेने मुम्बई गये सुशील को खुद अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं था। तभी तो हॉट सीट पर बैठने के बाद उसने अपना पड़ाव एक लाख साठ हजार निर्धारित किया। यह बात दीगर है कि जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ता गया, उसकी योग्यता और हाजिर-जवाबी किस्मत चमकाती गयी और वह खेल के शीर्ष पड़ाव तक जा पहुंचा। उसके उम्दा खेल के न केवल दर्शक बल्कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी कायल दिखे। मंगलवार की शाम तक सुशील के घर वालों को भी यह जानकारी नहीं थी कि वह खेल का शीर्ष पड़ाव हासिल कर चुका है। वे लोग सुशील समेत मुम्बई गये अन्य लोगों के मोबाइल पर संपर्क का प्रयास करते रहे, लेकिन बात नहीं हो सकी। उन्हें बेसब्री से रात होने का इंतजार था।



 

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